वो अनकही बात ! :लेखक प्रवीण कुमार शौठा
लंच टाइम के बाद हम कुछ दोस्त सीढ़ियों पे खड़े आपस में बाते कर रहे थे कि उतने में ही कुछ लड़कियाँ सीढ़ियों से गुज़री उनमें से एक थी सिम्मी, छरहरा बदन लंबे बाल बड़ी बड़ी आँखे और आत्मविश्वास से पूरी तरह भरी हुई "सिम्मी" । मेरे दोस्त पारस की नज़र सिम्मी से मिली, नज़र मिलते ही मानो पारस का सिस्टम हैंग सा हो गया पारस सिम्मी को देखता ही रह गया सिम्मी ने भी देखा अनदेखा कर आगे बढ़ गयी ।
अब पारस की रातें कुछ लंबी होने लगी वो उस लड़की के बारे में सोचने लगा जो उसे पहली ही नज़र में भा गयी थी ।अब मुश्किल था तो उसके बारे में पता करना कि उसका नाम क्या है कहा से हा वगेहरा वगेहरा। दिन बीत रहे थे और पारस रोज़ ही उस लड़की को देखने लगा भीड़ में उसे खोजना उसकी पसंद को मन ही मन तरहीज देना, आखिर एक दिन पारस ने अपने दिल का हाल अपने जूनियर दोस्त राघव के पास बयां किया। राघव भी उसी लड़की की क्लास में पढ़ता था ।
राघव ने उस लड़की देखते ही बता दिया कि ये तो "सिम्मी" है । अब पारस रोज़ राघव से सिम्मी के बारे में पूछता। राघव रोज़ - रोज़ के पारस के सवालों से तंग आ चूका था। एक दिन राघव ने सिम्मी को पारस के बारे में सब कुछ बता दिया। पारस थोड़ा प्यार के मामले में कच्चा था, तो एक दिन राघव ने दूर से सिम्मी को पारस की तरफ इशारा करते हुए कहा कि वही पारस है जो तुम्हारे बारे में पूछता है । सिम्मी हल्का सा मुस्कुरा दी, पारस दोस्तों के साथ था तो दोस्त भी स्टोरी में कूद गए और पारस को सिम्मी से बात करने के लिए कहने लगे, लेकिन पारस डरा सा सहमा सा नहीं - नहीं करता हुआ बैठा रहा, लेकिन दोस्त न माने और पारस को उठा कर सिम्मी की ओर ले जाने लगे बस फिर क्या था पारस ने जैसे तैसे करके अपने आप को वहां से छुड़ाकर क्लास रूम में बैठ गया और सिम्मी के बारे में सोचने लगा कि सिम्मी को कैसा लगा होगा (फट्टू है अपनी बात खुद नहीं कह सकता etc.) पर मैं एक बात कहना चाहूंगा कि "अगर दोस्त आपका काम बना सकते है , तो दोस्त ही बिगाड़ भी सकते है"।
पारस अपने नियमों और संस्कारो का पक्का था वो मुझसे अक्सर कहता कि "मैं अपनी बात सिम्मी से खुद ही कहना चाहता था यार" । शर्मिंदा महसूस होने के बाद पारस ने सिम्मी से फेसबुक के ज़रिये माफ़ी मांगने की सोचि की जो कुछ भी आज हुआ वो मेरी गलती नहीं थी मैंने अपने दोस्तों को नहीं कहा था ये सब करने के लिए लेकिन दो बार फ्रेंड रिक्वेस्ट सेंड करने के बाद भी सिम्मी ने रिक्वेस्ट डिलीट कर दी । पारस के दिल का मलाल दिल में ही रह गया ।
कुछ महीने और बीते एक दिन राघव से पारस का अकेलापन देखा नहीं गया ज़माना डिजिटल है तो राघव ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया और पारस के न करने पर भी पारस की प्रोफाइल से फोटो फेसबुक से डाउनलोड की और सिम्मी को व्हाट्सएप्प कर दी एक तो पहले ही पारस पिछली गलती के कारण सिम्मी से नज़रे न मिल पाता और अब ये राघव का सिम्मी को व्हाट्सप्प मैसेज।
सिम्मी को लगा होगा कि पारस सीनियर है तो शायद राघव पर दबाव डालता होगा लेकिन वो तो मैं ही जानता हुँ कि पारस कैसा है। अगले दिन पारस सेशनल टेस्ट देने के बाद कॉलेज के बाहर सिम्मी की इंतज़ार करने लगा कि आज तो सॉरी बोल ही दूँगा की "ये सब मेरा किया धरा नही है मैं प्यार तो करता हुँ , जता नहीं सकता ये अलग बात है" । कुछ देर बाद सिम्मी भी आ गयी और अपनी दोस्तों के बीच बातें करने लगी पारस देखता रहा कि कब सिम्मी थोड़ा अपने दोस्तों से अलग हो और वो अपने दिल की बात सिम्मी से कह सके लेकि ऐस कुछ नहीं हुआ । सिम्मी 5 मिनट के बाद अपने रूम चली गयी पारस को इग्नोर करते हुए और पारस बेचारा अपने दिल की बात दिल में ही रखता हुआ थोड़ी देर बाद वहाँ से चला गया।
समय बीतता जा रहा था प्यार तो प्यार था, एक दिन पारस ने सिम्मी से बात करने की ठान ही ली वो भी अकेले जैसे तैसे पारस, सिम्मी के पास पहुँच ही गया बात शुरू करने के लिए पारस ने जैसे ही सिम्मी से कहा तो सिम्मी ने साफ़ इनकार कर दिया पारस ने अपने दोस्तों की गलतियों की माफ़ी सिम्मी से मांगी और सिम्मी ने कहा “बस मुझे जाना है”, कह कर चल दी। पारस कहना तो बहुत कुछ चाहता था, पर कुछ कह नहीं पाया न जाने सिम्मी ने उसे कुछ कहने का मौका क्यों नहीं दिया? न जाने ये असर था समय की देरी का या कुछ और न जाने...
आज तक न पारस ने सिम्मी को कोई मैसेज किया और न अपने दिल की बात कभी कही यही सोच कर कि अगर उसने मैसेज किया तो कहीं सिम्मी उसकी वजह से परेशान न हो…..
दोस्तों ऐसी ही कुछ बातें रह जाती है अनकही और अधूरी जो शायद फिर कभी पूरी नही होती इसलिए दोस्तों मै कहूँगा बात करने से ही बात बनती है बात न करने से बाते बन जाती है इसलिये समय रहते बात कर लेनी चाहिए क्या पता बात बन जाये।
वो अनकही बात ! :लेखक प्रवीण कुमार शौठा
Reviewed by कहानीकार
on
September 06, 2017
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